
आंसू छुपा रहा हूँ तुमसे
दर्द बताना नहीं आता
बैठे बैठे भीग जाती है पलकें
दर्द छुपाना नहीं आता
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं,
हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं..
अजीब है महोब्बत का खेल,
जा मुझे नही खेलना,
रूठ कोई और जाता है
टूट कोई और जाता है।
चाहत वो नहीं जो जान देती है,
चाहत वो नहीं जो मुस्कान देती है,
ऐ दोस्त चाहत तो वो है,
जो पानी में गिरा आँसू पहचान लेती है।
बड़ी उदास है ज़िंदगी तेरे बिन नहीं है कुछ मेरे पास तेरे बिन
अँधेरा हो या हो उजाला .. आता नहीं कुछ बी रास तेरे बिन
बहुत सुकून मिलता है जब उनसे हमारी बात होती है,
वो हजारो रातों में वो एक रात होती है,
जब निगाहें उठा कर देखते हैं वो मेरी तरफ,
तब वो ही पल मेरे लीये पूरी कायनात होती है।
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’।
इश्क की हमारे बस इतनी सी कहानी है,
तुम बिछड गए हम बिख़र गए,
तुम मिले नहीं और…
हम किसी और के हुए नही।

ज़ख्म पुराने हुए कोई तो नया ज़ख्म दे जाओ
चलो आओ फिर से फिर से वही इश्क़ ले आओ
चाहत वो नहीं जो जान देती है,
चाहत वो नहीं जो मुस्कान देती है,
ऐ दोस्त चाहत तो वो है,
जो पानी में गिरा आँसू पहचान लेती है।
जब मिलो किसी से
तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते है
अक्सर सीने से लगाने वाले
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का,
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला तो होता।
खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है,
हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।